30 January 2011

बॉलीवुड में देसीपन अभी भी हिट!



क्या है बॉलीवुड का ट्रेंड और कामयाबी से कैसा है इसका रिश्ता- रिसर्च आधारित खबर

दर्शकों की सोच बदल रही है। बड़े बैनर, बड़े कलाकार और बड़ा बजट अब उन्हें नहीं लुभा सकता। दर्शकों को चाहिए-सिर्फ मनोरंजन। बॉलीवुड हालांकि दर्शकों की इस बदलती सोच को अभी पूरी तरह से नहीं समझ पाया है। यही वजह है कि बीते साल इस उद्योग को 475 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। लेकिन यह भी हकीकत है कि इस दौरान भारतीय फिल्म उद्योग 11.5 फीसदी बढ़ा भी है।

सोच और नजरिये में आए बदलाव को 2010 में फ्लॉप हुई बड़े बजट की फिल्मों से समझा जा सकता है। काइट्स, रावण, वीर और गुजारिश जैसी फिल्मों को दर्शकों ने नकार दिया। वहीं दूसरी ओर पीपली लाइव, फंस गए रे ओबामा, तेरे बिन लादेन, इश्किया जैसी छोटी फिल्में हिट रहीं। अगर इसी महीने की बात करें, तो यमला पगला दीवाना जैसी खालिस देसी फिल्म ने शुरुआत में अच्छा कारोबार किया है, तो नो वन किल्ड जेसिका जैसी ‘गंभीर’ फिल्म का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन भी ठीक रहा है। आखिर बॉक्स ऑफिस की विरोधाभासों वाली यह कैसी गुत्थी है?

और क्या इस गुत्थी का कोई हल भी है? क्या हिंदी सिनेमा बदल रहा है या फिर अभी भी पैसा वसूल होना किसी फिल्म की सबसे बड़ी खूबी है? 475 करोड़ के घाटे का आंकड़ा देने वाले ट्रेड समीक्षक कोमल नाहटा कहते हैं कि कलाकारों के मेहनताने और कहानी पर ध्यान न देना सबसे बड़ी वजहें हैं। उनके अनुसार, गुजारिश के लिए रितिक, ऐश्वर्या और निर्देशक संजय लीला भंसाली ने क्रमश: 10, 5 और 12 करोड़ रुपए लिए।

लेकिन ‘क्लास’ नामक सीमित वर्ग के लिए बनाई गई इन फिल्म में इन तीनों को दरअसल एक-चौथाई पैसा ही लेना था। बकौल नाहटा, ‘कहानी को छोड़ बाकी सब चीजों पर ध्यान देकर फिल्मकार खुद को धोखे में रख सकते हैं, पर जनता को नहीं।’ न डायरेक्टर, न एक्टर, कोई भी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं होता।

इसलिए गलतियां बार-बार दोहराई जाती हैं और फिल्में औंधे मुंह गिरती हैं। नाहटा मानते हैं कि काइट्स और गुजारिश की गैर-भारतीय पृष्ठभूमि भी उनके फ्लॉप होने की बड़ी वजह है। दूसरी तरफ, 2010 में हिट फिल्मों की सूची बताती है कि देसीपन अभी भी हिट का फामरूला है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है सलमान खान की दबंग।

बड़ा बजट भी गारंटी नहीं सफलता की

फिल्म बजट नतीजा कले.देश विदेश कुल

दबंग 30 सुपर हिट 137 5.5 142.5राजनीति 40 हिट 93 10 103गुÊारिश 80 फ्लॉप 30 7 37 रावण 45 फ्लॉप 29 6 35

छोटा बजट, कमाई का अनुपात ज्यादा

फिल्म बजट नतीजा कलेक्शन

फंस गए रे ओबामा 03 हिट 3.5 लव सेक्स एंड धोखा 1.5 हिट 9 वेल डन अब्बा 1.5 हिट 3.25पीपली लाइव 10 हिट 30



कमाई का ठहाका

कॉमेडी              बजट .  नतीजा   कलेक्शन

गोलमाल               340     सुपर हिट    107

बैंड बाजा बारात      10      हिट            29

पारिवारिक

खट्टा मीठा               30 हिट 39

वी आर फैमिली  32 फ्लॉप 22
लव स्टोरी

इश्किया              10 हिट 22

आई हेट लव स्टोरी 25  हिट 43

सितारों का मेहनताना

अमिताभ बच्चन         10-12

आमिर खान              35

शाहरुख खान            15

अक्षय कुमार              15

रितिक रोशन             12

सलमान खान              10

रणबीर कपूर               07

ऐश्वर्या राय                 6

कैटरीना कैफ               3

करीना कपूर              3.5

दीपिका                   2.5

प्रियंका चोपड़ा        3-6

बिपाशा बसु               1

कंगना                   2-5

इस साल आने वाली दस बड़ी फिल्में

महीना फिल्म निर्देशक कलाकार
फरवरी पटियाला हाउस निखिल अडवाणी अक्षय-अनुष्का
 7 खून माफ विशाल भारद्वाज नील-प्रियंका
अप्रैल थैंक यू अनीस बज्मी अक्षय-सोनम,  दम मारो दम रोहन सिप्पी अभिषेक-कंगना
मई रेडी अनीस बज्मी सलमान-असिन,  रॉक स्टार इम्तियाज अली रणबीर-नरगिस, जिंदगी न मिलेगी दोबारा जोया अख़्तर  रितिक-कैटरीना

अगस्त बॉडीगार्ड सिद्दीक लाल सलमान-करीना
अक्टूबर एजेंट विनोद श्रीराम राघवन सैफ-करीना
दिसंबर डॉन-2 फरहान अख़्तर शाहरुख़-प्रियंका

स्टार व बजट नहीं, कहानी में हो जान

फिल्म वही सफल होती है जिसकी कहानी दर्शकों को बांधने में कामयाब हो पाती है। सिर्फ़ बड़ी स्टार कास्ट या बड़ा बजट सफलता नहीं दिला सकता। फिल्म रिलीज का पहला दिन भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, उसी से पता चल जाता है कि दर्शक किस तरह ले रहे हैं।  - प्रकाश झा, निर्देशक
देखने को मजबूर करे, वही सफल

फिल्म ऐसी हो, जो बांधकर रखे। इसके लिए कॉमेडी, रोमांस, आइटम सांग और मारधाड़ जरूरी नहीं है। ईमानदारी से कहानी कहें, तो वही सबको मोहित करेगी। जो फिल्म आपको बिना मोबाइल अटैंड किए सीट पर बैठने के लिए मजबूर करे, वही सफल फिल्म है।   - राजकुमार गुप्ता, निर्देशक
अलग थीम हो, अलग ट्रीटमेंट

अर्बन इंडिया और ग्रामीण भारत में अंतर तो है, पर बुनियादी तौर पर सबका दिल हिंदुस्तानी ही है। इन दिलों के इमोशन भी एक जैसे हैं। अब मैं अलग थीम और अलग ट्रीटमेंट को सफलता की कुंजी मानता हूं। यही विशेषता सब पर असर करती है।  - मधुर भंडारकर, निर्देशक

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